Improve yourself instead of improving others

Punjab : दूसरों को सुधारने के स्थान पर खुद को सुधारें : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

Nirakari11

Improve yourself instead of improving others

Improve yourself instead of improving others : लुधियाना। आज संत निरंकारी सत्संग भवन (Sant Nirankari Satsang Bhawan) संगोवाल लुधियाना (Ludhiana) में हुए विशाल निरंकारी संत समागम (Vishal Nirankari Sant Samagam)  अवसर पर हजारों की संख्या में पहुंची संगतों को आर्शीवाद देते हुए निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज (Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj) ने फरमाया कि निरंकार परमात्मा हमेशा हमारे साथ अंग संग होता है पर हम ही इसको दूर समझकर बैठे है। हमारी आत्मा शरीर बदलते बदलते अपना मुल इस शरीर हो ही समझ लेती है जबकि यह शरीर नाशवान है। जब इस आत्मा को प्रभु परमात्मा की जानकारी हो जाती है तो यह निरंकार से एकमिक हो जाती है। फिर यह आत्मा इंसानी शरीर को भी इस निरंकार से जोड़ कर सेवा में लगा देती है, इंसान समझ जाता है कि यह शरीर हर एक के काम आए, निरंकार की रजा में व्यतीत हो। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के उपरांत यह परमात्मा अंग संग नजर आने लग जाता है। गुरमति वाले गुण भी अपने आप ही हमारे अंदर प्रवेश होने शुरु हो जाते है। उन्होंने उदाहरण देते हुए फरमाया कि जिस तरह दूध में जितना मीठा डालोगे उतना ही मीठा हो जाएगा। उसी मन को जैसे जैसे सिमरन रुप में इस निरंकार के साथ जोड़ेगे वैसे वैसे ही मन में सेवा भावना, नेक भलाई जैसे गुण प्रवेश हो जाते है, हर इंसान परमात्मा का ही रुप नजर आने लग पड़ता है। 

मनों के भाव बदल जाते हैं प्रेम भक्ति से 

उन्होंने आगे समझाया कि अगर शरीर पर कोई चोट लगे तो चमड़ी में से रक्त निकलता (If there is any injury on the body, blood comes out from the skin) है उसी तरह इंसान गुरमत वाले कर्म अपनाता है तो उसके जीवन में से भी वहीं गुण झलकते है, प्यार की महक आती है, वाणी में मधुरता आ जाती है, मन में भक्ति भाव जन्म ले लेती है, प्रेमा भक्ति के रूप के साथ साथ मनों के भाव बदल जाते है। फिर इंसान हर किसी के लिए जीवन में भलाई की ही कामना करता है। हरेक के लिए दिल में दर्द महसूस करता है। यही भाव बनते है कि हर मानव की सेवा की जाए जबकि मनमुख के भाव अपने खुद के लिए होते है जो कि अहंकार का कारण बनते है। यदि किसी को पढ़ लिख कर ड्रिगीयां, पद आदि मिल जाए तो कई बार अहंकार के भावन उत्पन हो जाते है परंतु जबकि संत महापुरुष अहंकार में नहीं आते वह सब को बराबर समझते है। जिसके पास सही रास्ता होता है वही अपने तथा साथ वालों को सही रास्ते पर डालते है जबकि दुनिया वाले भटकनों में डालते है। 

मन के अंदर कोई गलत नहीं आते

शरीर रूप में तो दुख सुख आते जाते रहते है, धन घटता बढ़ता रहता है, जबकि यह आत्मा जब निरंकार (Nirankjar) के साथ जुड़ जाती है तो हमारे मन के अंदर कोई गलत सोच नहीं आती बल्कि सब के लिए प्यार, विनम्रता, सहनशीलता जैसे भावन उत्पन हो जाते है। मनमती इंसान अपने शरीर का भी नुक्सान करते है तथा दूसरों का भी नुकसान करते हैं पर संत हमेशा सबका भला ही करते है तथा भला ही मांगते है तथा मन में से वैर, ईष्र्या, नफरत के भावन खत्म करके प्यार, निम्रता, सहनशीलता को अपनाते है। उन्होंने समझाया कि जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि जैसे अगर कोई इंसान अच्छा है, बढिय़ा सोच रखता है तो वह सबको अच्छा ही नजर आएगा, दूसरी तरफ जिसकी सोच बुरी होगी वह सब को बुरा ही नजर आएगा। उन्होने समझाया कि इंसान अपनी गलतियों को सुधारने की बजाए दूसरों में गलतियां निकालनी शुरु कर देता है पर जो गुरसिख होते है वह पहले खुद को सुधारते है किसी की गलतियां नहीं देखते। उन्होंने कहा कि किसी के लिए तो प्यार बुझाने के लिए पानी का एक घुट ही काफी है पर किसी  को पानी का एक घड़ा भी दे दे तो वह भी कम पड़ता है।

मन के भाव शुद्ध करते हैं संतो के प्रवचन 

उन्होंने आगे फरमाया कि मन यदि स्थिर का सहारा नहीं लेता तो यह अस्थिर रहता है पर यदि मन प्रभु परमात्मा को जानकर आत्मा को यह बोद्ध करवा देता है कि यह आत्मा कहां से आई है कहां जाना है तो वह आत्मा धन्य हो जाती है। जैसे धूल को थपथपा कर साफ करते है उसी तरह संतो के प्रवचन सुनकर हमें मन के भाव शुद्ध करते जाना है। यह नहीं सोचना कि मैं सबसे बढिय़ा हूं बल्कि निष्काम भाव से बिना कोई फायदा सोचे सेवा करते जाना है, भक्ति भरपूर जीवन जीते हुए हरेक के लिए जीवन वरदान बनते हुए आगे बढऩा है, निरंकार के साथ हमेशा जुड़े रहना है।

मैंबर इंचार्ज ने माताजी का स्वागत किया

इस अवसर पर एच.एस.चावला (HS Chawla) मैंबर इंचार्ज पंजाब ने अपने तथा संगतो द्वारा सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज व निरंकारी राजपिता रमित जी का लुधियाना पहुंचने पर स्वागत व शुक्राना किया। उन्होंने सिविल प्रशासन, पुलिस प्रशासन व इलाके के विभिन्न राजनीतिक, समाजिक व धार्मिक संस्थाओं का भरपूर सहयोग देने के लिए धन्यवाद किया।

 

 

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